पिछले पांच
वर्षों में भारत के सभी शहरों में बहुत सारे निजी विद्यालय खुले हैं। वे घुड़सवारी,
स्विमिंग पूल से लेकर सभी कक्षाओं में एसी जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं। यहां तक
की शिक्षा के लिए स्मार्ट कक्षाओं एवं टेबलेट पीसी जैसी कुछ सुविधाएं जो भारत के लिए
बिल्कुल असाधारण थीं, वे पिछले दशक में आम हो गई हैं। इन दिनों अधिकांश माता पिता का
केवल एक ही बच्चा होता है और जब उन्हें एक विद्यालय में प्रवेश का निर्णय लेना होता
ह तब वे काफी छोटे होते हैं। ऐसे अभिभावक आमतौर पर सतही बातों से प्रभावित होकर गलत
विद्यालय में प्रवेश ले बैठते हैं। अभीभावकों को यह बात बाद में महसूस होती है और फिर
वे उसी शहर के किसी अन्य विद्यालय में स्थानांतरण कर लेते हैं, कभी कभी शैक्षणिक वर्ष
के दौरान ही। इससे विद्यार्थी अपने मित्र खो देते हैं तथा शिक्षा की प्रणाली बदल जाती
है जिससे, शैक्षणिक पाठ्यक्रम में प्रगति के साथ इससे तालमेल बैठाना विद्यार्थियों
के लिए बहुत कठिन हो जाता है।
यहां कुछ
प्रश्न हैं जो आपको प्रवेश लेने से पूर्व पूछना चाहिएः
1. क्या बोर्ड की परीक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त
करने वालों में से इस विद्यालय का कोई विद्यार्थी है? यदि विद्यालय में राज्य बोर्ड
के अलावा कोई अन्य बोर्ड है तो यह प्रश्न भी पूछा जाना चाहिए कि शहर में से कितने विद्यार्थियों
ने उस परीक्षा में भाग लिया- ताकि आप जान सकें कि क्या उन्होनें वास्तव में किसी प्रतिस्पर्धा
का सामना किया।
2. क्या बोर्ड की परीक्षा में कुछ विद्यार्थी अनुत्तीर्ण
हुए है? इस तरह के प्रश्न की जांच इंटरनेट एवं मीडिया पर उपलब्ध जानकारी के साथ की
जानी चाहिए। ऐसे कुछ विद्यालय हैं जो 100 प्रतिशत परिणाम का दावा करते हैं परंतु वास्तव
में ऐसा है नहीं।
3. बोर्ड की परीक्षा में विद्यालय का औसत परिणाम क्या
है? परिणाम 100 प्रतिशत हो सकते हैं तथा बोर्ड में कुछ अव्वल स्थान प्राप्त करने वाले
विद्यार्थी भी हो सकते हैं- परंतु औसत परिणाम यह बता देगा कि आपका बच्चा उस विद्यालय
में संभवतः कितने अंक प्राप्त करेगा। इसलिए यदि अ विद्यालय का पिछले पाँच वर्षों का
औसत परिणाम 65 प्रतिशत है तथा ब विद्यालय का 66 प्रतिशत है, तो विद्यालय ब विद्यालय
अ से कहीं बेहतर है क्योंकि यह बताता है कि बहुत से विद्यार्थियों ने बहुत अधिक अंक
प्राप्त किए होंगे।
4. परिणाम का मानक अपसरण क्या है? कई लोग बोर्ड के
स्थानों तथा 100 प्रतिशत उत्तीर्ण अनुपात से प्रभावित हो जाते हैं परंतु दिलचस्प आंकडे़
यह होंगे कि कितने विद्यार्थी औसत से दूर हैं। यह बैच के परिणामों की स्थिरता पर एक
अच्छी दृष्टि प्रदान करेगा। तो मान लीजिए कि 40 बच्चों की कक्षा में अव्वल रहने वाले
5 विद्यार्थी हैं तथा औसत परिणाम भी अच्छा है। हालांकि यदि मानक अपसरण बहुत अधिक है,
-तो इसका अर्थ है कि बहुत से विद्यार्थी ऐसे हैं जो औसत परणाम से दूर हैं। इससे कक्षा
के प्रदर्शन में विसंगति का पता चलता है तथा संकेत मिलता है कि विद्यार्थी विद्यालय
में अध्ययन करने की बजाए ट्यूशन लेते हैं।,
5. विद्यार्थी अवधारणः एक अच्छे विद्यालय की एक उच्च
विद्यार्थी अवधारण दर होगी - अगर विद्यार्थियों के बहुमत में एक निरंतर परिर्वतन होगा
तो एक संकेत होगा कि विद्यालय के प्रति एक प्रमुख अंसतोष है।
6. कर्मचारी अवधारणः एक ही विद्यालय में शिक्षकों
की निरंतरता शिक्षा की गुणवत्ता के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। एक विद्यालय जिसके शिक्षक
कम अनुभवी हैं, एक निश्चित समस्या है। हालांकि शिक्षकों का अक्सर बदलते रहना भी एक
बड़ी समस्या है। यह एक बड़ी समस्या का एक निश्चित संकेत है।
7. नियमित विज्ञापनः वे विद्यालय जिन्हें पुराना होने
के बावजूद अक्सर विज्ञापन की आवश्यकता होती है, तो यह एक संकेत है कि विद्यालय में
कुछ गुणवत्ता समस्याएं हैं। यदि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के माता पिता प्रचार
नहीं कर रहे हैं तो आमतौर पर कुछ अंतर्निहित समस्या है।
आपके बच्चे
के लिए सही विद्यालय का चयन करने में आपको सफलता प्राप्त हो- यह आपके बच्चे के भविष्य
के लिए एक महत्त्वपूर्ण निर्णय है।
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