Tuesday 31 January 2017

किशोरावस्था में आत्महत्या- भाग 1

कुछ आम कारण

यह अनुमानित है कि भारत विश्व में किशोरावस्था में आत्महत्या की राजधानी है। किशोरों की सबसे अधिक संख्या आत्महत्या करने का प्रयास यहां करती है एवं सबसे अधिक संख्या में सफल भी होती हैं। जहां काफी हद तक जनसांख्यिकी को दोष ठहराया जा सकता है एवं कहा जा सकता है कि भारत एक युवा देश है तथा हमारे पास विश्व में सर्वाधिक किशोरों की संख्या है तथा गरीबी के कारण, हमारे बच्चे इस परेशानी का सामना कर रहे हैं। हालांकि भविष्य इससे भी बुरा होने वाला है क्योंकि किशोरों की संख्या बढ़ने ही वाली है तथा आत्महत्या में और अधिक वृद्धि होगी। आइये हम समस्या का विश्लेषण करते हैं एवं यह जानने का प्रयास करते हैं कि हम उसे किस प्रकार कम कर सकते हैं। किशोर निम्नलिखित कारणों से आत्महत्या करते हैं:

  • अध्ययन संबंधित दबावः इसमें कारणों की एक पूरी प्रचुरता शामिल है जैसे कि जब विद्यार्थी परीक्षाओं में प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं होते हैं, या वे अपने पसंद के क्षेत्र में नहीं जा पाते हैं, अथवा वे चयनित विषय के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाते हैं जैसे इंजीनियरिंग या चिकित्सा या वे अध्ययन करते करते थक चुके होते हैं।
  • आत्महत्याओं का पारिवारिक इतिहासः अक्सर यह देखा गया है कि परिवार में आत्महत्या की प्रवृत्ति रहती है और यह अनुवांशिक है।
  • साथियों का दबावः मित्रों का प्रभाव, महाविद्यालयों एवं हॉस्टलों में सिनीयर्स द्वारा तंग करना या रैगिंग एक ऐसे स्तर तक पहुंच सकती है कि किशोर यह महसूस करने लगें कि उन्हें यह सब समाप्त करना है तथा वे उस यातना को पुनः नहीं झेल सकते। कुछ किशोरों में सहनशक्ति बहुत कम होती है तथा चिढ़ाने जैसी साधारण सी घटनाएं भी उन्हें आत्महत्या करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
  • विद्यालयीन तथा महाविद्यालयीन जीवन में अंतरः अचानक एक ‘‘मुक्त” क्षेत्र में पहुंचने से, जहां उनकी निगरानी करने वाला या उन्हें अनुशासित करने वाला कोई नहीं होता, किशोर खोया हुआ तथा हताश महसूस करते हैं।
  • माता पिता द्वारा अधिक लाड़-प्यारः यह उन्हें व्यक्तिगत निर्णय लेने में अक्षम बनाता है तथा वे घर छोड़ने पर/विदेश जाने पर कमज़ोर पड़ जाते हैं क्योंकि वे स्वयं के दम पर स्थितियों का सामना करने में पूरी तरह असमर्थ होते हैं।
  • वित्तीय मुद्देः महाविद्यालय में वे उनके साथियों जैसा बनने तथा आमतौर पर ऐसी जीवनशैली स्थापित करने की आवश्यकता महसूस करते हैं जिसका खर्च वे वहन नहीं कर सकते हैं जो उन्हें आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करता है।
  • संबंध संबंधित समस्याएं: विफल प्रेम संबंधों, अभिभावकों के साथ समस्यों तथा मित्रता में समस्याओं के कारण कई किशोरों की मौत हो चुकी है। यह वह चरण है जहां अस्वीकृति का एक गहरा प्रभाव है।
  • नशीले पदार्थों (ड्रग्स) की लतः भारत के कुछ भागों में ड्रग्स की लत बहुत तेज़ गति से बढ़ रही है। जब किशोर तीव्र ड्रग्स के आदि हो जाते हैं, वे उसे छोड़ नहीं पाते तथा आमतौर पर उस आदत से छुटकारा पाने के लिए स्वयं का जीवन समाप्त कर देते हैं।
  • आत्महत्या से संबंधित घटनाओं की जानकारीः मीडिया अथवा मित्रों के साथ चर्चा द्वारा इस प्रकार की जानकारी उनके प्रभावित मन को योजनाएं प्रदान करती हैं।
  • स्वयं के रूप रंग के प्रति अप्रसन्नताः यह वह चरण है जहां किशोर उनके रूप के प्रति सबसे अधिक आसक्त रहते हैं चाहे वह चेहरे की सुंदरता हो अथवा शरीर का आकार। वे स्वयं के रूप को सुधारने के लिए किसी भी हद तक जाते हैं तथा जब वे फिर भी संतुष्ट नहीं होते हैं तो उन्हें महसूस होता है कि जीवन जीने योग्य नहीं है। यह एक दुखद स्थिति है जिसे जितना जल्दी हो सके विपरीत किए जाने की आवश्यकता है। सामाजिक परिवर्तन के साथ चिकित्सक द्वारा समय समय पर मध्यवर्तन युवा मन को ऐसे कार्य करने से हतोत्साहित करने के लिए बहुत लंबी दूरी तय कर सकते हैं। इस लेख के दूसरे भाग में हम किशोरावस्था में आत्महत्या को रोकने के संभावित कारणों का पता करेंगे।

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