Tuesday 10 January 2017

विमुद्रीकरण शिक्षा के क्षेत्र को किस प्रकार प्रभावित करता है?

हाल ही में हुए विमुद्रीकरण ने अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। कुछ क्षेत्रों जैसे बैंकिग, ई-कार्मस, दूरसंचार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है जबकि मुख्य रूप से नकदी पर निर्भर रहने वाले अचल संपत्ति तथा आभूषण क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। आईए हम शिक्षा के क्षेत्र पर विमुद्रीकरण के अल्पावधि, मध्यावधि तथा लंबी अवधि के प्रभाव को समझते हैं।

ऐसे कुछ विद्यालय हैं जो केवल नकद फीस स्वीकार करते हैं तथा वेतन भी नकद में ही देते हैं, वे अल्पावधि में प्रभावित होंगे। अभिभावकों के पास कुछ महीनों के लिए नकदी की कमी होगी तथा वे विद्यालयों से उदारता बरतने की मांग करेंगे। यह प्रभाव शहर आधारित विद्यालयों व महाविद्यालयों में कम होगा क्योंकि उनमें से अधिकांश चैक स्वीकार करते हैं। ऐसे कुछ संस्थान हैं जो प्रवेश के लिए नकद दान लेते हैं- संभावना है कि आने वाले प्रवेश सत्र में ऐसे संस्थानों के सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है एवं उन्हें उनके वित्तिय प्रारूप का पुर्नगठन करने की आवश्यकता होगी।

मध्यावधि में, शैक्षिक संस्थानों को फीस की वृद्धि में विलंब करना चाहिए क्योंकि बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट है। एक ओर 7वें वेतन आयोग की वेतन संरचना को लागू किया जाना है वहीं दूसरी ओर अचल संपत्ति, कृषि एवं आभूषण जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, जो बहुत से अभिभावकों को रोजगार प्रदान करते हैं। इसलिए, आने वाले 2 वर्षों के लिए सभी पूंजी परियोजनाओं को विलंबित किया जाना चाहिए तथा परिहार्य खर्च समाप्त किया जाना चाहिए।

लंबी अवधि के लिए शिक्षा के क्षेत्र को विमुद्रीकरण से बहुत से सकारात्मक लाभ हैं। यहां तक कि अर्थव्यवस्था का कोई भी क्षेत्र जिसे बैंक वित्तपोषण तथा आय सफेद धन के रूप में प्राप्त होती है, उसका भविष्य उज्जवल है। शिक्षा का क्षेत्र सहज रूप से इस श्रेणी में आता है। सबसे पहले, भूमि स्वामियों के पास उनकी भूमि के लिए बाज़ार नहीं होगा तथा वे विद्यालय के मालिकों को लंबी अवधि के लिए भूमि पट्टे पर देने के लिए सहर्ष तैयार हो जाएंगे। अचल संपत्ति क्षेत्र की हानि शिक्षा के क्षेत्र के लिए लाभ होगी। भूमि स्वामियों को भूमि से लंबी अवधि के लिए स्थायी आय प्राप्त होने की संभावना मिलेगी जो ऐसे समय में प्राप्त करना कठिन है। विद्यालय के मालिकों को अनुकूल शर्तों पर भूमि प्राप्त हो जाएगी तथा बैंक उसे वित्तपोषित करने के लिए सहर्ष तैयार होंगे। बैंक ऋण देने के लिए शिक्षा के क्षेत्र को अपेक्षाकृत एक सुरक्षित क्षेत्र मानते हैं। ब्याज दरों के साथ, बैंक के पास उपलब्ध बड़ी धनराशियों के साथ भारत के बड़े शहरों में नए शिक्षा क्षेत्रों के निर्माण के लिए एक आर्दश संयोजन होगा।

बैंक ना केवल विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के निर्माण को वित्तपोषित करता है बल्कि साथ ही शिक्षा ऋण के द्वारा महाविद्यालयों की फीस को भी वित्त पोषित करता है। इतने सारे धन के उपलब्ध होने के साथ, बैंक शिक्षा ऋणों में भी ब्याज दरों को कम कर देंगे। यह महंगी महाविद्यालयीन शिक्षा पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा जो अधिकांश भारतीयों की पहुंच से बाहर थी। चिकित्सा एवं इंजीनियरिंग शिक्षा जिसमें बहुत सारा पैसा खर्च होता है, उसमें ऋण देना बैंकों के लिए कम जोखिमपूर्ण है क्योंकि स्नातक की उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को तुरंत अच्छा वेतन प्राप्त होता है एवं वे ऋण चुका सकते हैं। यह गुणवत्ता पूर्ण शैक्षिक संस्थानों के लिए अवसंरचना का निर्माण करने में सहायक होगा तथा  भारतीयों को वह वातावरण देगा जिसकी आवश्यकता उन्हें सही कैरियर का निर्माण करने के लिए है।

कुल मिलाकर शिक्षा के क्षेत्र पर विमुद्रीकरण का एक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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