Friday 4 November 2016

बच्चे के विकास में निन्दा से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण प्रशंसा है (भाग 1)

कई वर्षों पहले मेरे पास शिक्षकों के एक समूह के लिए एक प्रश्न थाः आप निम्न स्थितियां में क्या करेंगेः

  1. एक बच्चा कक्षा में दुर्व्यवहार करता है
  2. होमवर्क नहीं करता
  3. समय का पाबंद नहीं है
  4. उपयुक्त गणवेश नहीं पहनता है
  5. अच्छी तरह से खाना नहीं खाता है

अधिकांश शिक्षकों ने उत्तर दिया कि हमः

बच्चे को कक्षा में दंड देंगे
  1. डायरी में माता पिता के लिए नोट लिखेंगे
  2. बच्चे को प्राचार्य के पास भेजेंगे
  3. यदि मामला गंभीर है तो माता पिता से मिलेंगे

मैंने अन्य प्रश्न पूछा कि यदि बच्चा इसके बिल्कुल विपरीत है-जैसे कि बहुत अच्छा व्यवहार है, हर बार होमवर्क करता है, समय का बहुत पाबंद है या उपयुक्त गणवेश पहनता है, लंच बॉक्स में से सबकुछ खा लेता है, सबकुछ अच्छे से करता है जो उससे किया जाना अपेक्षित है, तो आप क्या करेंगे? अधिकांश शिक्षकों ने कहा कि वे बच्चे की प्रशंसा कक्षा के सामने करेंगे। अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों का कम ही रिकार्ड था।

इसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्यों एक गलती दोहराने वाले के लिए दंड गंभीर है परंतु एक सुसंगत प्रदर्शन करने वाले के लिए कोई ‘‘अतिरिक्त” सराहना नहीं है। इसके अलावा, प्रशंसा किए जाने का कोई रिकार्ड नहीं था हालांकि निंदा का एक स्थायी रिकार्ड डायरी में था।

एक बच्चे के विकास में ऊपर उल्लेखित अधिकांश वस्तुएं बहुत महत्त्वपूर्ण थीं। तद्यपि किसी भी पाठ्यक्रम में उसे शामिल नहीं किया गया था और किसी भी टेस्ट में उसके लिए अंक नहीं दिए गए थे। बल्कि इन सभी छोटे प्रयासों से बच्चा एक परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करेगा, परंतु प्रत्येक चरण पर बच्चे के लिए कोई पुरस्कार नहीं था।

एक और असंबंधित अवलोकन यह था कि विद्यार्थियों को प्रतिस्पर्धा करना बहुत पसंद था। अंकन प्रणाली के चले जाने के साथ व विद्यार्थियों को ग्रेड दिये जाने के कारण वे शैक्षिक उपलब्धियों के माध्यम से एक दूसरे के साथ तुलना नहीं कर रहे थे। इसलिए अब वह प्रतिस्पर्धा और कहीं जा रही थी। ये यह था कि क्या तुमने छुटिटयों में किसी विदेशी देश की यात्रा की? क्या तुम्हारे पिता के पास एक बड़ी कार है? क्या तुम्हारे पास नवीनतम आईपैड है या क्या तुमने नवीनतम खेल में उच्च स्कोर प्राप्त किया?

कई बार ये प्रतिस्पर्धाएं बिल्कुल विपरित दिशा में जाती हैं- इस वर्ष तुम्हारे माता पिता को कितनी बार बुलाया गया? बच्चे स्वयं को बेहतर करने के स्थान पर दंड प्राप्त करने में गर्व महसूस करने लगते हैं व परिणामस्वरूप कट्टर अपराधी बन जाते हैं।

बाल मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे त्वरित संतुष्टि (इनाम) चाहते हैं। तो यदि आप बच्चों को ये कहें कि यदि आपने आज अच्छा बर्ताव किया तो मैं शैक्षणिक वर्ष के अंत में तुम्हें अच्छे अंक दूंगा, यह उन्हें प्रोत्साहित नहीं करता। यहां तक कि ‘‘स्टेनफोर्ड मार्शमेलो प्रयोग” ने पता किया कि यदि बच्चों को अभी एक छोटे पुरस्कार व 15 मिनट बाद एक बड़े पुरस्कार के बीच में चयन करने का विकल्प दिया जाए तो वे एक तत्काल छोटा इनाम चुनेंगे। तो हम बच्चों को एक अच्छा व्यवहार करने वाला व बुद्धिमान नागरिक बनाने के लिए एक सकारात्मक सुदृढीकरण की एक प्रणाली बनाने के लिये ऊपर उल्लेखित जानकारियों का उपयोग किस प्रकार करेंगे?

अगले सप्ताह हम अहमदाबाद के दो विद्यालयों में कार्यान्वित की गई एक परियोजना के बारे में बात करेंगे।

बच्चे के विकास में निन्दा से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण प्रशंसा है (भाग 2)

पिछले लेख में हमने चर्चा की कि किस प्रकार शिक्षक नकारात्मक टिप्पणी रिकार्ड पर डाल देते हैं परंतु सकारात्मक टिप्पणी मौखिक रूप से दी जाती है। साथ ही, बच्चे तत्काल पुरस्कार चाहते हैं व परिणाम प्राप्त करने के लिए वर्ष के अंत की मार्कशीट तक का इंतज़ार नहीं कर सकते।

तो अहमदाबाद के दो विद्यालयों ने एक दिलचस्प प्रयोग किया-अच्छे व्यवहार के लिए स्टीकर्स देने का। वे छोटी वस्तुएं जिनके लिए अंक नहीं दिये जा सकते परंतु बच्चे के जीवन में महत्त्वपूर्ण हैं, उनके लिये स्टीकर्स दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए एक बच्चे को पुस्तकें पढ़ने का शौक है। पढ़ने के प्रति इस प्यार को विद्यालय द्वारा आयोजित टेस्ट में या बोर्ड परिक्षाओं में प्रशंसित नहीं किया जाएगा। परंतु हम सभी जानते हैं कि पढ़े बगैर बच्चे का सामान्य ज्ञान बहुत सीमित होता है। एक लाइब्रेरी शिक्षक उस बच्चे को स्टीकर देता है जो पढ़ने का शौकीन है।

अब इस प्रकार के स्टीकर को चिपकाया कहां जाता है? यदि हम डायरी में चिपकाते हैं तो वह प्रति वर्ष हट जाएगा। साथ ही स्टीकर के साथ नकारात्मक टिप्पणियां भी होंगी जो उसे याद दिलाएंगी कि वह उतना अच्छा/अच्छी नहीं है। इसलिये स्टीकर को एक छोटी पुस्तिका पर चिपकाया जाता है जो खास तौर पर इसी उद्देश्य के लिए है-इसे पासपोर्ट कहा जाता है। प्रत्येक स्टीकर को प्रदर्शन का वीज़ा कहा जाता है व पुस्तिका को उत्कृष्टता के लिए पासपोर्ट कहा जाता है।

इस प्रणाली को सकारात्मक वयवहार के लिए प्रोत्साहित करने में कई वर्षों के अनुसंधान के बाद विकसित किया गया है। एक बार इस प्रकार का वीज़ा दिये जाने के बाद उसे वापस नहीं लिया जाता है। पासपोर्ट में कोई भी नकारात्मक टिप्पणियां नहीं होनी चाहिये। प्रत्येक शिक्षक केवल 3-4 वीज़ा ही दे सकता है व विद्यार्थी को एक प्रकार का वीज़ा एक ही बार दिया जा सकता है।

वह बच्चा जिसे एक कक्षा में सबसे अधिक बीज़ा प्राप्त होंगे उसे वर्ष के अंत में सम्मान प्राप्त होगा। कक्षा में अधिकतम वीज़ा प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा रहेगी। हालांकि एक बच्चे को एक प्रकार का वीज़ा एक बार ही मिल सकता है, बच्चे को अन्य पहलुओं पर भी सुधार करना होता है। इससे बच्चे का सर्वांगीण विकास होता है।

वीज़ा के प्रकार शिक्षकों द्वारा, बच्चों में उनके द्वारा देखी गई परेशानियों के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए कम्प्यूटर कक्षा में बहुत अधिक दुर्व्यवहार था। इसलिये शिक्षक ने घोषणा की कि उसे निपुणता का वीज़ा दिया जाएगा जो प्रैक्टिकल को सबसे पहले समाप्त करेगा। यह बच्चों को मस्ती करने के स्थान पर सौंपा गया कार्य करने की दौड़ के लिए प्रोत्साहित करेगा।

उद्गम विद्यालय- बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए इस प्रणाली का उपयोग पिछले 4 वर्षों से कर रहा है व उसने अच्छे परिणाम प्राप्त किये हैं। पालकों ने प्रशंसा की है व बच्चों ने भी। यह शिक्षकों के लिए कार्य को थोड़ा बढ़ा देता है परंतु कक्षा के नियंत्रण व बच्चों के अकादमिक ने सकारात्मक सुधार दिखाया है। हाल ही में इसी प्रणाली को ज़ेबर विद्यालय में भी लागू किया गया है। 

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