Tuesday 6 September 2016

यातायात सुरक्षा: क्या विद्यालय बदलाव ला सकते हैं?

हाल ही में विद्यालय से घर लौटने के दौरान दो लड़कों की मृत्यु हो गई व इससे देश की एक महत्त्वपूर्ण समस्या सामने आई -सड़क दुर्घटनाएँ व मृत्यु।

आँकडे़ बहुत गंभीर हंै- भारत में हर घंटे 15 व्यक्तिों की मृत्यु होती है व प्रतिदिन 20 बच्चों की। दुर्घटनाओं के कारण विकलांग होने की संख्या - प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख। पूरे विश्व में बुरे सड़क सुरक्षा आँकड़ों में चीन के बाद दूसरा स्थान भारत का ही स्थान है। हमारे पास विश्व के 1 प्रतिशत वाहन हैं परंतु 10 प्रतिशत दुर्घटना जनहानी!
तो विद्यालय, अभिभावक व राष्ट्र इन मृत्यु व विकलांगता को कम करने के लिए सामान्यतः क्या कर सकते हैं?

24.9 प्रतिशत मृत्यु दुपहिया वाहन पर होती है। दुपहिया वाहन पर मौत को रोकने का एक आसान उपाय है -हेलमेट। मैंने दुपहिया वाहन से होने वाली जितनी भी मौतों के बारे में सुना है उनमें से अधिकांश में पीड़ित ने हेलमेट नहीं पहना था। मुझे लगता है कि विद्यालय व अभिभावक हेलमेट अनिवार्यता आसानी से लागू कर सकते हैं।

10.8 प्रतिशत मृत्यु कार में होती हैं। कार में हानी को कम करने का आसान रास्ता सीट बेल्ट हैं। यू.के. का एक शोध बताता है कि कार के सीट बेल्ट, कार की पहली सीट की मृत्यु के 45 प्रतिशत को रोकते हैं। साथ ही, एयर बैग का सुरक्षा तंत्र तब ही सक्रिय होता है जब व्यक्ति ने सीट बेल्ट पहना हो। 1994 से भारत में पहली सीट में

सीट बेल्ट का होना अनिवार्य है और उसके बीस वर्षों बाद भी- 99 प्रतिशत लोग उन्हें नहीं पहन रहे हैं।
सीट बेल्ट व हेलमेट जैसे सुरक्षा उपकरण का उपयोग मृत्यु दर को सीधे कम करता है। हर सड़क दुर्घटना की सूचना देते समय समाचार पत्र के संवाददाताओं को यह उल्लेख करना चाहिए कि 50 प्रतिशत मृत्यु सुसाध्य क्षति से हुई है, परंतु समय पर ईलाज नहीं दिया गया। कुछ दूरस्थ स्थान होने की वजह से हो सकते है, तद्यपि यदि सभी नागरिकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए कि एक सड़क दुर्घटना का सामना होने पर क्या किया जाना चाहिए, उस से कई लोगों की जान बच जाएगी। यदि वे रिपोर्टिंग (सूचना) कर रहे हैं, उन्हंे प्रक्रिया व बाधाएँ पता होनी चाहिए। मुझे यकीन है कि कोई भी व्यक्ति 108 पर फोन करेगा यदि उस पर दुर्घटना का आरोप ना लगाया जाए।

शराब पीकर वाहन चलाना भी सड़क दुर्घटना मृत्यु का एक अन्य प्रमुख कारण है। गुजरात में निषेध होने के कारण यहाँ शराब की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या बहुत कम है। उसका सबूत यह है कि भारत में सड़क दुर्घटना के शीर्ष 10 शहरों में गुजरात का एक भी शहर नहीं है। अहमदाबाद से छोटे शहर जैसे नासिक, जयपुर, कोच्चि, तिरूवनंतपुरम में सड़क दुर्घटना क्षति होने की संख्या अधिक है और इन सभी स्थानों में निषेध नहीं है। एक आसान समाधान, आपके रक्त में अल्केहोल का स्तर उच्च होने पर, ओला/उबेर जैसी टैक्सी सेवाओं का उपयोग करना है।

यातायात नियमों का पालन करना एक अन्य प्रमुख क्षेत्र है जिसमें भारत को सुधार करने की आवश्यकता है। गति सीमा के भीतर वाहन चलाना, सड़क संकेतों पर रूकना, व सही ओर गाड़ी चलाना, ये आसान से नियम हैं जिन से मृत्यु से बचाव किया जा सकता है।

बच्चों को उचित व्यक्तियों का अनुकरण करना चाहिए। अतिशीघ्र गाड़ी चलाने वाले व सड़क पर करतब करने वाले व्यक्ति वे हैं जिन्हें उनके परिवार की परवाह नहीं है। माता पिता के सड़क पर मरने के बाद बच्चे अकेले रह जाते हैं। उन्हें मानव जीवन का मूल्य समझाया जाना चाहिए व ऐसा करने पर वे बड़े होकर ज़िम्मेदार नागरिक बनेंगे।

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